पर गलती हमारी नहीं सिर्फ.....

कभी बेफिक्री का दौर था , अब तो रातों  भी तन्हाई है ,
उन्हें हीं ज़माने का डर है , या  हम में ही कोई बुराई है।

पर गलती हमारी नहीं सिर्फ , वोही आये थे इन गलियों में हँसते,
इश्क इतना भी नहीं आसान , काश वोही पहले हमें कह  देते। 

Comments

Popular posts from this blog

The Escalator Moment

Book Review: Private India by Ashwin Sanghi and James Patterson

How to make the most out of you in 2014?